जौनपुर जनपद के किसान सम्मान निधि में बड़े पैमाने का फर्जीवाड़ा और धांधली का मामला प्रकाश में आया है। जुलाई माह से कराए जा रहे भूलेख सत्यापन में अब तक करीब 27 हजार अपात्र मिल चुके हैं। पता चला है कि इनके पास तो भूमि है ही नहीं फिर भी सम्मान निधि ले रहे थे। इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए फिलहाल कृषि विभाग को शासन के निर्देश का इंतजार है। अभी 30 सितंबर तक चलने वाले सत्यापन कार्य में यह संख्या और बढ़ने की संभावना है।कृषि विभाग के अधिकारियों की मानें तो करीब आठ लाख 16 हजार 662 किसान हैं। इसमें सात लाख 35 हजार किसान सम्मान निधि का लाभ ले रहे हैं। करीब 75 फीसदी सत्यापन कार्य हो चुका है। जो भूमिहीन या अपात्र मिले हैं उनका नाम योजना की सूची से बाहर किया जा रहा है। भूमि सत्यापन के बाद अब तक पांच लाख 84 हजार किसानों का पोर्टल पर नाम फीड कर दिया गया है। उप कृषि निदेशक जय प्रकाश ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से जिले भर में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि पाने वाले किसानों का सत्यापन करवाने के लिए उनकी भूमि से संबंधित भूलेख का सत्यापन करने के निर्देश दिए हैं। इस कार्य को पूरा करने के लिए कृषि विभाग के अलावा तहसील और ब्लॉक स्तर के अधिकारियों व कर्मचारियों की भी ड्यूटी लगाई गई है। यह कार्य अंतिम चरण में है। अब तक के सत्यापन के दौरान 27 हजार भूमिहीन पाए गए हैं। पांच लाख 84 हजार किसानों का डाटा पोर्टल पर अपलोड हो चुका। अभी सत्यापन का कार्य चल रहा है। अभी और अपात्र मिलने की संभावनाएं हैं। किसान सम्मान निधि पाने वालों में अपात्रों के मिलने का मामला यह पहला नहीं है। पहले भी अपात्र मिल चुके हैं। पूर्व में हुई जांच के आधार पर करीब साढ़े नौ हजार ऐसे लोग चिन्हित किए गए थे जो आयकरदाता थे बावजूद इसके किसान सम्मान निधि का लाभ ले रहे थे। सत्यापन करके नोटिस भेजकर उनसे करीब एक करोड़ 75 लाख रुपये की रिकवरी करायी गई। अभी कई आयकरदाताओं को नोटिस भेजा गया है।